आप जिस घर में रहते है उसका एक विशिष्ट पता होता है तभी आपके सगे संबधी आप तक पहुँच पाते है और ऑनलाईन शॉपिंग करके खरीदा गया आपका मन पसंद सामान सही समय पर आप तक डिलिवर हो पाता हैं.
जिस तरह मकानों का पता होता है ठीक उसी प्रकार इंटरनेट पर मौजूद सामग्री (Content) का भी एक विशिष्ट पता होता हैं जिसे URL के नाम से जाना जाता हैं.
World Wide Web पर उपलब्ध एक-एक चीज की अपनी पहचान होती है. इसी पहचान से इसे एक्सेस किया जा सकता हैं. इसलिए URL बहुत जरूरी होता हैं और हमारे लिए इसे समझना भी आवश्यक हैं.
इसलिए इस लेख में हम आपको URL की पूरी जानकारी दे रहे हैं. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस लेख को निम्न भागों में बांटा हैं.
Table of Content
URL क्या होता हैं – What is URL in Hindi?
URL इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधन (Resource) का विशिष्ट पता है. इसे वेब एड्रेस भी कहते है. URL का पूरा नाम Uniform Resource Locator होता हैं. जिसे 1994 में माननीय Tim Berners-Lee तथा Internet Engineering Task Force द्वारा विकसित किया गया था.
इंटरनेट दुनिया का विशालतम कम्प्युटर नेटवर्क है. जिसके ऊपर विभिन्न प्रकार की सूचना (संसाधन) – फाईल्स, डॉक्युमेंट्स. ओडियो, विडियो, ग्राफिक्स आदि उपलब्ध हैं. और यह सूचना असीमित हैं. इसलिए प्रत्येक संसाधन की पहचान सुनिश्चित करने के लिए एक नाम दिया जाता हैं जिसे URL कहते हैं.
अगर साधारण शब्दों में कहें तो यूआरएल उस फोटू, फाईल, विडियो, गाना का पता है जहां से इसे डाउनलोड किया जा सकता है और ऑनलाईन स्ट्रीम भी किया जा सकता हैं. एक यूआरएल कुछ इस प्रकार का होता हैं. (नीचे स्क्रीनशॉट देंखे)
URL की परिभाषा – URL Definition in Hindi
“नेटवर्क पर मौजूद किसी संसाधन विशेष की इंसान के समझने लायक एक-रूप पहचान ही यूआरएल है.”
“इंटरनेट पर उपलब्ध संसाधन का पता है यूआरएल.”
“इंटरनेट पर उपलब्ध किसी डॉक्युमेंट और अन्य संसाधनों का ग्लोबल पता है यूआरएल.”
हमने ऊपर यूआरएल को परिभाषित करने के लिए कई अलग-अलग परिभाषाएं दी है. सभी परिभाषों में एक बात कॉमन है कि यह इंटरनेट पर किसी चीज का पता है.
URL की संरचना – Syntax of URL in Hindi
World Wide Web पर उपलब्ध यूआरएल एक खास संरचना में लिखे जाते हैं जिसे URL Syntax कहते हैं. यूआरएल सिंटेक्स ही URL Structure को डिफाईन करता हैं अर्थात उसे कैसे लिखना ये बताता हैं.
एक यूआरएल के निम्नलिखित भाग होते हैं. जिन्हे आप ऊपर चित्र में भी देख सकते हैं.
- Protocol
- Separator
- Subdomain
- Domain Name
- Directories
- Resource
Protocol
इसे URI Scheme भी कहा जाता है. प्रोटोकॉल ब्राउजर को बताता है कि उपलब्ध संसाधन को कैसे डाउनलोड करना हैं? HTTPS सबसे लोकप्रिय वेब प्रोटोकॉल है जो सूचना को सुरक्षित इंक्रिप्ट कर ट्रांसफर करने की सुविधा मुहैया कराता हैं.
इंक्रिप्ट करने का मतलब होता है ब्राउजर तथा सर्वर (जिस कम्प्युटर में संसाधन सेव है) के बीच डेटा को कूट कर देना यानि उसे वास्तविक रुप में नहीं ट्रांसफर करना. इसलिए बीच में चोरी होने पर डेटा का दुरुपयोग संभव नही होता हैं.
HTTPS से पहले HTTP – Hyper Text Transfer Protocol का उपयोग किया जाता था जो असुरक्षित था. युजर की साईबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और प्राईवेसी कानून के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए HTTP का Secure Version तैयार किया गया जिसे HTTPS यानि HTTPS Secure के नाम से जानते हैं.
HTTPS के अलावा ftp, mailto, telnet, news आदि भी Standard Protocols है जिनका उपयोग भी प्रोटोकॉल के रूप में होता हैं और सूचनाओं का आदान-प्रदान धडल्ले से किया जाता हैं.
Separator
ये विशिष्ट चिन्ह होते है जो यूआरएल के अलग-अलग भागों को एक-दूसरें से अलग करने का काम करते हैं. उदाहरण के लिए https को शेष यूआरएल से अलग करने के लिए :// का उपयोग होता हैं. तथा अन्य स्थानों पर केवल “/” से ही काम चल जाता हैं.
ध्यान रखें
RFC 1738 की सिफारिशों के अनुसार यूआरएल में केवल Alphabets, Numbers के अलावा ! $ – _ + * () चिन्ह ही इस्तेमाल किये जा सकते हैं. अन्य चिन्ह इस्तेमाल करने से पहले उन्हे Encode करना होगा.
Subdomain
यूआरएल में WWW सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सबडोमेन है. तकनीकि रुप में इसकी कोई जरूरत भी नहीं होती हैं और यह वैकल्पिक हैं. तथा इसके बिना भी सूचना प्राप्त की जा सकती है. मगर, इसकी आदत होने के कारण इसका प्रचलन बरकरार है और बिना www का यूआरएल सीधा www URL पर Redirect कर दिया जाता हैं.
खुद आजमाएं
ब्राउजर के सर्च बॉक्स में जाकर https://tutorialpandit.com लिखकर सर्च करें. और नोटिस करें कि आपके समने कौनसा यूआरएल ओपन हो रह हैं? अगर आप ध्यान देंगे तो आप पायेंगे कि आपके सामने https://www.tutorialpandit.com खुल गया हैं.
Domain Name
जहां पर आपकी मन पसंद सूचना सेव रखी जाती हैं उस Virtual Computer (Server) का नाम ही डोमेन नेम है जिसे आप वेबसाईट के नाम से जानते हैं. यह IP Address का निकनेम होता है. जो गणितीय संख्या नाम को युजर से छिपाता है. और उसे इंसान के समझने लायक भाषा में बदलता हैं.
यहाँ .com वाला भाग Domain Suffix अथवा Top Level Domain (TLD), इसे Domain Extension भी कहते हैं, कहलाता हैं जो वेबसाईट का प्रकार दर्शाता हैं. जैसे; .com एक Commercial Website का प्रतिनिधित्व करता है. इसी तरह सैंकड़ों प्रकार के TLDs मौजूद है जिन्हे आप Domain Registrar की वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं. .com के अलावा .org, .edu, .net, .biz आदि लोकप्रिय टॉप लेवल डोमेन है.
Directories
एक वेवसाईट को कई हिस्सों में विभाजित किया जा सकता हैं. एक हिस्से को आप एक घर में विशिष्ट कमरा मान सकते हैं जो केवल किसी विशिष्ट इंसान या काम के लिए उपयोग होता हैं इसी तरह एक प्रकार की जानकारी को एक जगह रखा जाता है ताकि ढूढ़ने में आसानी रहें.
जैसे विडियो को videos नाम के फोल्डर में रखते हैं. यहाँ एक से ज्यादा डायरेक्ट्री भी हो सकती है और एक डायरेक्ट्री के भीतर भी डायरेक्ट्रीज (सबडायरेक्ट्री) बनाई जा सकती हैं.
Resource
यह वास्तविक संसाधन है जिसे सर्वर पर सुरक्षित रखा गया है. इसे वेबपेज भी कहते हैं. यहीं वो फाईल, फोटू, विडियो, गाना होता है जिसे आप ढूढते हैं. फाईल नाम के आगे फाईल एक्स्टेंशन भी लिखा रहता है जो बताता है कि यह किस प्रकार की फाईल है? .html, .htm, .php, .asp, .cgi, .xml, .jpg, .png आदि लोकप्रिय फाईल एक्स्टेंशन्स है.
URL कहां होते हैं?
यूआरएल आपके ब्राउजर विंडॉ के ऊपरी हिस्से में मौजूद सर्च बॉक्स में होता हैं. स्मार्टफोन में भी वहीं होता है मगर नीचे जाने पर गायब हो जाता है, इसलिए दिखाई नहीं देता. आप थोड़ा सा ऊपर स्क्रोल करेंगे तो सर्च बॉक्स में यूआरएल दिख जाता है जिसके ऊपर टैप करके Full URL Access किया जा सकता हैं.
आप जब किसी ब्लॉग पोस्ट, यूट्यूब विडियो, फोटू को शेयर करते है तब जो लिंक आपको दिखाई देता है वह युआरएल ही होता है, जिसे आप किसी Text Editor Program में पेस्ट करके आसानी से पढ़ सकते है.
ध्यान रखें
ऑनलाईन शॉपिंग करने और अन्य वित्तिय लेनदेन करने से पहले आधिकारिक यूआरएल का मिलान अवश्य करें. यह आपकी ऑनलाइन सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम है.
URL कैसे ऑपन करें?
यूआरएल को ओपन करने के लिए हाईपरलिंक्स का उपयोग होता हैं. आप किसी भी वेबपजे पर उपलब्ध हाईपरलिंक पर क्लिक/टैप करके यूआरएल को ओपन कर सकते हैं. आपके सामने उस यूआरएल से जुडा हुआ संसाधन डाउनलोड हो जाता है.
जब किसी यूआरएल को हाईपरलिंक से नहीं जोडा जाता है तो वहां पर हम यूआरएल को खुद सर्च बॉक्स में टाईप करके भी ओपन कर सकते हैं.
Printed Materials (पत्रिकाएं, अखबार, किताबें आदि) पर यूआरएल को QR Code के जरिए भी ओपन किया जा सकता हैं. यह एक खास तकनीक है जिसके द्वारा कागज पर उपलब्ध यूआरएल को स्मार्टफोन के जरिए ओपन करने की सुविधा होती है आपको यूआरएल टाईप नहीं करना हैं. बस QR Code Scanner की सहायता से कोड स्कैन करना हैं.
Absolute vs Relative URL
Absolute URL – जब किसी वेब संसाधन का फुल यूआरएल लिखा जाता है तो इसे Absolute URL कहते है. इस प्रकार के यूआरएल में URL Syntax में मौजूद सभी अवयवों को लिखना पड़ता है. जैसे; https://www.tutorialpandit.com/uploads/url-kya-hai.html
आप जिस लेख को पढ़ रहे है यह उस लेख का पूरा यूआरएल है.
Relative URL – जब URL Syntax में मौजूद सभी अवयवों को किसी यूआरएल में नहीं लिखते है तो ऐसे युआरएल Relative URLs कहलाते हैं. इस प्रकार के यूआरएल का उपयोग लोकलहोस्ट पर ज्यादा किया जाता हैं. मगर URL Shortner के कारण छोटे यूआरएल भी लोकप्रिय हो रहे है.
URL Shortner क्या हैं?
URL Shortner एक ऐसा टूल है जो फुल यूआरएल को शॉर्ट यूआरएल में बदल देता है. जैसे; goo.gl, bitly, tinyurl आदि टूल की सहायता से आप एक जतिल और बडे यूआरएल को छोटे यूआरएल में कंवर्ट कर सकते है और अपने याद-दोस्तों, रिश्तेदारों को शेयर भी कर सकते है,
यह छोटा यूआरएल ऑटोमेटिक वास्तविक यूआरएल (Absolute URL) पर रिडायरेक्ट हो जाता हैं. YouTube Videos का यूआरएल शेयर करने पर छोटा यूआरएल ही शेयर होता हैं. यह छोटे यूआरएल का जाना पहचाना उदाहरण है.
आपने क्या सीखा?
इस लेख में हमने आपको यूआरएल के बारे में पूरी जानकारी दी हैं आपने जाना कि यूआरएल क्या होता है? यूआरएल की संरचना तथा यह कैसे काम करता है आदि जानकारी हासिल करी है. हमे उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा.
#BeDigital
Mind blowing sir. Bahut hi aasan shabdo me aapne is topic ko samjhya hai. Thank you for this.
Thanku sir
Bahut badhiya.
Very Nice