WhatsApp Telegram
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
WhatsApp Channel Join Now

Supercomputer क्या है सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा, इतिहास, फीचर्स तथा विशेषताओं की हिंदी में जानकारी

सुपरकम्प्यूटर का नाम सुनते ही दिमाग में एक विशाल और तेज कम्प्यूटर का ख्याल आने लगता है. जिसके रूप-रंग, बनावट, आकार, आविष्कारक आदि के बारे में जानने की इच्छा अलग से होने लगती है.

इतिहास गवाह है कि शुरुआती कम्प्यूटर किसी बड़े कमरे के आकार के बराबर थे और उन्हे चलाने के लिए कई पेशवर व्यक्तियों की जरूरत पड़ती थी. साथ में हार्डवेयर को संभालने की दिक्कत बोनस थी.

लेकिन, उन्नत टेक्नोलॉजी तथा समय के साथ इंटिग्रेटेड सर्किट्स, माइक्रोप्रोसेसर्स के आविष्कार ने कम्प्यूटर का आकार और बनावट को सिमटा दिया. और उसकी कार्यक्षमता को कई लाख गुना बढ़ाने का काम किया.

इसलिए, आज एक स्मार्टफोन की कार्यक्षमता शुरुआती सुपरकम्प्यूटर से कई गुना अधिक हो गई है. हमारी हथेली में एक शक्तिशाली कम्प्यूटर आ गया है.

अब, मैं मुद्दे पर आता हूँ और आपको सुपरकम्प्यूटर क्या होता है? सुपरकम्प्यूटर की खोज कब हुई, सुपरकम्प्यूटर का जनक कौन है? सुपरकम्प्यूटर का उपयोग कहाँ होता है? आदि सवालों के जवाब देता हूँ ताकि सुपरकम्प्यूटर के बारे में आपको पूरी जानकारी हो जाएं.

आखिरकार आप इसिलिए तो यहाँ आए हैं.

क्यों सही कहाँ ना? 😀

आगे बढ़ते है. साथ में सुपरकम्प्यूटर और पर्सनल कम्प्यूटर में अंतर भी बताउंगा और दुनिया का सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर का नाम, कीमत तथा स्पेसिफिकेशन की जानकारी ओर दूंगा. अध्ययन की सुविधा के लिए इस सुपरकम्प्यूटर की बेसिक जानकारी गाइड को निम्न भागों में बांट दिया है.

Supercomputer क्या है?

सुपरकम्प्यूटर दुनिया का सबसे शक्तिशाली कम्प्युटर है जिसका उपयोग जटिल गणितीय एवं वैज्ञानिक गणनाओं की प्रोसेसिंग तथा हाइ-लेवल कम्प्यूटिंग में किया जाता है. इसकी कार्यक्षमता को MIPS के बजाए FLOPS में मापा जाता है. एक सुपरकम्प्यूटर में हजारों सीपीयू लगे रहते है जो एक सैकण्ड़ में अरबों गणनाएं एक साथ करते है. CDC 6600 दुनिया का पहला सुपरकम्प्यूटर था जिसे माननीय Seymour Cray द्वारा विकसित किया गया था.

Supercomputer Kya Hai in Hindi

एक सामान्य उद्देश्य कम्प्यूटर की तुलना में सुपरकम्प्यूटर की कार्यक्षमता बहुत ही अधिक होती है. और स्पीड भी लाखों गुना अधिक ताकि रियल टाइम में जटिल गणितीय गणनाओं एवं समीकरणों को हल किया जा सके.

एक सुपरकम्प्यूटर में हजारों सीपीयू एक साथ काम करते है. इसलिए, मल्टीटास्किंग सुपरकम्प्यूटर का सामान्य गुण होता है. क्योंकि, एक साथ कई कार्य निपटाने के लिए ही इनका विकास हुआ है.

सुपरकम्प्यूटर सीरियल प्रोसेसिंग के बजाए पैरेलल और ग्रिड प्रोसेसिंग के सिंद्धात पर कार्य करते है. इसका, मतलब यह हुआ है कि यह एक टास्क को विभिन्न सीपीयूओं के बीच बांट देता है. इसलिए, टास्क का निष्पादन जल्दी हो जाता है.

सुपरकम्प्यूटर की पैरेलल प्रोसेसिंग इसकी कम्प्यूटिंग क्षमता को तेज और शुद्ध बनाती है. और एंटरप्राइजेज तथा संगठनों की शक्तिशाली कम्प्यूटिंग आवश्यकताओं की पूर्ती भी इन्ही विशेषताओं से होती है.

सुपरकम्प्यूटर का संक्षिप्त इतिहास – Brief History of Supercomputer in Hindi

इस शक्तिशाली कम्प्यूटिंग मशीन को किसी अकेले व्यक्ति ने नहीं बनाया है. इतिहास गवाह है कि इस तरह की जटिल और अजूबों को उनका वर्तमान रूप देने में समय-समय पर अलग-अलग विशेषज्ञों का योगदान रहा है.

इसलिए, आइए एक नजर सुपरकम्प्यूटर का इतिहास पर डालते है और पता लगाते है सुपरकम्प्यूटर यहाँ तक कैसे पहुँचा?

नीचे मैं सुपरकम्प्यूटर टेक्नोलॉजी में समय-समय पर हुई नई खोजों तथा आविष्कारों के बारे में बता रहा हूँ.

1946: दुनिया का पहला सामान्य-उद्देश्य कम्प्यूटर ENIAC, जो 25 मीटर लंबा तथा 30 टन वजनी था, का निर्माण पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में माननीय जॉन मौचली एवं ज. प्रेस्पर एकर्ट द्वारा किया गया. जिसे पहला वैज्ञानिक सुपरकम्प्यूटर कहा गया.

1953: आईबीएम द्वारा डिफेंस कैलकुलेटर यानि पहला जनरल-उद्देशीय मैनफ्रेम कम्प्यूटर विकसित किया गया. इसे आधार बनाकर आईबीएम इंजिनियर जीन अम्दहल ने IBM 704 बनाया जो 5 KFLOPS की गणनाएं कर सकता था.

1956: आईबीएम ने Los Alamos National Laboratory के लिए Stretch सुपरकम्प्यूटर विकसित किया जो 1964 तक दुनिया का सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर बना रहा.

1957: CDC (Control Data Corporation) के सह-संस्थापक माननीय सीमोरे क्रे (Seymour Cray) द्वारा तेज, ट्रांसिस्टर युक्त, हाइ-पर्फॉर्मेंस कम्प्यूटर विकसित करने की पहल की गई. और इस तरफ आगे कदम अढ़ाते हुए CDC 1604 नामक सुपरकम्प्यूटर पेश किया. इसके बाद 1964 में CDC 6600 सुपरकम्प्यूटर लॉन्च किया. इन दो कम्प्यूटरों ने आइबीएम की नींद खराब कर दी थी. और उसके एकछत्र राज को ललकारने वाला खिलाड़ी दस्तख दे चुका था.

1972: क्रे ने कंट्रॉल डेटा को छोड़ दिया और हाइ-एण्ड कम्प्यूटर बनाने के लिए क्रे रिसर्च की स्थापना की.

1976: Los Alamos National Academy में पहला Cray – 1 सुपरकम्प्यूटर लगाया गया. जिसकी स्पीड 160 MFLOPS थी.

1979: Cray – 1 के बाद क्रे द्वार इससे भी तेज क्रे कम्प्यूटर विकसित किया गया. जो आठ सीपीयू के साथ 1.9 GFLOPS की स्पीड में गणनाएं कर सकता था. Cray – 2 में तारों की लंबाई 120 सेमी से घटकर 41 सेमी ही रह गई. यानि क्रे ने अपनी C-Shaped Supercomputer अवधारणा को साबित कर दिया था.

1983: Thinking Machines Corporation ने पैरेलल कनेक्शन मशीन (64,000 सीपीयू) से पर्दा हटाया. 

1989: सीमोर क्रे ने Cray Computer नामक कंपनी बनाई Cray-3 एवं Cray-4 का निर्माण किया.

1990: यह दशक सुपरकम्प्यूटर निर्माताओं के लिए तंगी लेकर आया. और पावरफुल RISC वर्कस्टेशनों को पेश किया गया, जिन्हे Silicon Graphics द्वारा बनाया गया था.

1993: 166 Vector Processors के साथ Fujitsu Numerical Wind Tunnel दुनिया का सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर बना.

1994: थिंकिंग मशीन ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया.

1995: क्रे कम्प्युटर ने भी खुद को दिवलिया घोषित कर दिया. और इस तंगी के सालभर भीतर यानि 5 अक्टुबर, 1996 को सुपरकम्प्यूटर के जनक माननीय Seymour Cray तत्वलीन हो गए. इसी साल क्रे की मूल कंपनी Cray Research को सिलिकॉन ग्राफिक्स ने अधिग्रहण कर लिया.

1997: इंटेल द्वारा पेंटीयम प्रोसेसर द्वारा सुपरकम्प्यूटर बनाया गया और Sandia National Laboratories दुनिया का पहला TFLOPS सुपरकम्प्यूटर बना.

2008: क्रे रिसर्च एवं Oak Ridge National Laboratory द्वारा विकसित Jaguar Supercomputer दुनिया का पहला पेटाफ्लॉप्स (PFLOPS) सुपरकम्प्यूटर बना. जिसे बाद  में जापान और चीन की कंपनियों द्वारा पछाड़ दिया गया.

2011-13: Jaguar को अपग्रेड करके Titan Supercomputer नाम दिया जो कुछ समय के लिए दुनिया का फास्टेस्ट सुपरकम्प्यूटर बन गया. जिसे चीन के सबसे तेज सुपरकम्प्यूटर Tianhe-2 ने पछाड़ दिया.

2014: Mont-Blanc नामक European Consortium ने स्मार्टफोन एवं टैबलेट्स से एक एक्साफ्लॉप (1018 FLOP) सुपरकम्प्यूटर बनाने की घोषणा की.

2017: चीन के वैज्ञानिकों ने एक्साफ्लॉप सुपरकम्प्यूटर का नमुना पेश करने की घोषण की.

2018: जून, 2018 में Oak Ridge में IBM Summit 200-petaflop सुपरकम्प्यूटर स्थापित किया गया. जो आजतक दुनिया का सबसे शक्तिशाली और तेज सुपरकम्प्यूटर बना हुआ है.

स्रोत: Explainthatstuff.com

सुपरकम्प्यूटर की विशेषताएं – Characteristics of Supercomputer in Hindi

सुपरकम्प्यूटर का नाम सुनते ही मालूम चल जाता है कि हम किसी साधारण कम्प्यूटर की बात यहाँ नहीं कर रहे है. आपका पर्सनल कम्प्यूटर इसके आगे कहीं नहीं ठहरता है. आइए जानते एक सुपरकम्प्यूटर में क्या-क्या खूबियां होती है?

  • सुपरकम्प्यूटर का आकार और वजन बहुत ज्यादा होता है. इन्हे रखने के लिए कई-कई कमरों की जगह भी कम पड़ जाती है.
  • इनकी कार्यक्षमता बहुत ही अधिक होती है. जिसके कारण ये हम इंसानों कि क्षमताओं से बाहर वाले कार्य सैकण्ड़ों में निपटा देते है. साथ में जटिल गणीतिय गणनाएं, वैज्ञानिक समीकरण तथा 3डी ग्राफिक्स जैसे कार्य भी कर लेते है.
  • सुपरकम्प्यूटर पर एक साथ कई यूजर काम कर सकते है.
  • सुपरकम्प्यूटर अभी तक बनाए कम्प्यूटरों में सबसे महंगा कम्प्यूटर है. जिसकी कीमत एक आम कम्प्यूटर यूजर्स की पहुँच से बहुत दूर है. शायद इसलिए ही कुछेक सुपरकम्प्यूटर्स ही बन पाएं है.
  • इनमें मल्टीपल सीपीयू लगे होते है. जो पैरेलल प्रोसेसिंग करके सुपरकम्प्यूटर की स्पीड़ तथा परफॉर्मेंस को बढ़ाते है.
  • ये ग्रुप में ऑपरेट हो सकते है.
  • इन्हे संभालने के लिए लगातार देखरेख की जरूरत पड़ती है.
  • ठंडा रखने के लिए कई गैलन लीटर पानी की खपत हो जाती है.
  • सुपरकम्प्यूटर्स केवल वैज्ञानिक संस्थानों, शोध संस्थानों तथा मेडिकल संस्थानों में ही उपयोग किए जाते है. साधारण जगहों पर इन्हे एफॉर्ड नहीं किया जा सकता है.

सुपरकम्प्यूटर के फायदें – Advantages of Supercomputer in Hindi

  • कार्यक्षमता में बढ़ोतरी
  • जटिल गणनाएं संभव
  • मेडिकल शोध में फायदेमंद
  • अंतरिक्ष के रहस्य खोजने में मददगार
  • इंसानी सीमा का तोड़

#1 स्पीड में बढ़ोतरी

साधारण कम्प्यूटर सीरियल प्रोसेसिंग के सिंद्धात पर कार्य करते है. इसका मतलब यह हुआ कि वह किसी समस्या पर बारी-बारी से प्रोसेसिंग करता है. जिसमें बहुत अधिक समय लगता है.

मगर, सुपरकम्प्यूटर पैरेलल प्रोसेसिंग के आधार पर समस्याओं से जूझते है. इसलिए, प्रोसेस करने का समय बहुत ही कम हो जाता है. क्योंकि, सुपरकम्प्यूटर किसी भी टास्क को पूरा करने के लिए मल्टी प्रोसेसर्स का इस्तेमाल करता है.

यानि टास्क को कई भागों में बांट दिया जात है. और अलग-अलग भाग पर काम करके एक साथ परिणाम दिया जाता है. इसलिए, प्रोसेसिंग समय घट जाता है.

आप जानते है कि सुपरकम्प्यूटर की स्पीड FLOPS यानि Floating-point Operations Per Second में मापते है. जो साधारण कम्प्यूटर की स्पीड MIPS (Million Instructions Per Second) से कई गुना अधिक तेज होती है.

आजकल, petaFLOPS की स्पीड पर काम करने वाले सुपरकम्प्यूटर भी विकसित हो चुके है. यानि जिस गणना को करने में आप 3,16,88,767 वर्ष लगाते उसे पेटाफ्लॉप्स सुपरकम्प्यूटर सिर्फ 1 सैकण्ड में कर देता है.

#2 जटिल गणनाएं संभव

सुपरकम्प्यूटर के द्वारा हम वो साधारण काम कर सकते है जो एक पर्सनल कम्प्यूटर करने में सक्षम होता है.

आप ईमेल भेज सकते है, वेब सर्च कर सकते है, गेम खेल सकते है, अपने दोस्तों के साथ चैट कर सकते है और पार्टी के फोटू भी एडिट कर सकते है.

लेकिन, सुपरकम्प्यूटर सिर्फ इन कामों के लिए नहीं बनाए गए है. इनके द्वारा जटिल वैज्ञानिक गणनाएं, गणितीय रूप से गहन वैज्ञानिक समस्याएं, जिनमें परमाणु मिसाइल परिक्षण, मौसम का पूर्वानुमान, जलवायु का अनुकरण करना, एंक्रिप्शन की शक्ति (कम्प्यूटर सुरक्षा कोड़) का परिक्षण शामिल है.

कुछ सुपरकम्प्यूटर कार्य विशेष के लिए भी बनाए जाते है. जैसे; आईबीएम का Deep Blue सुपरकम्प्यूटर मशीन, जिसे 1997 में बनाया गया था, केवल शतरंज खेलने के लिए विकसित किया गया था. जिसका मकसद रूस के शतरंज ग्रेंड मास्टर गैरी कास्परोव के खिलाप शतरंज खेलना था और उसके भावि चालों को समझना था.

#3 मेड़िकल शोध में फायदेमंद

Supercomputer in Medical Research

हम इंसान हमेशा से सजीव प्राणियों का रहस्य जानने के जिज्ञासु रहे है. और हमारी पृथ्वी पर जीवन की उत्पति (Origin of Life) जानने के लिए अंतरिक्ष तक पहुँच चुके है.

इस कार्य में सुपरकम्प्यूटर हमारी मदद कर रहे है. और बायोलॉजी में एक नई शाखा Computational Biology को जन्म दिया है. जिसके तहत सजीवों की उत्पति और मरीजों को वैयक्तिक इलाज (Personalized Medicine) जैसी पहेलियों को सुलझाया जा रहा है.

अणुओं की बनावट, संरचना पर भी इस शाखा पर गंभीर शोध किए जा रहे है. जिसे अंग्रेजी में Molecules Simulation कहा जाता है.   

#4 अंतरिक्ष रहस्य खोजने में मददगार

अगस्त, 2017 में HPE (Hewlett Packard Enterprise) द्वारा विकसित Spaceborne नामक सुपरकम्प्यूटर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक वापस धरती पर लाया गया.

इसके क्या मायने है?

यह एतिहासिक परिक्षण पूरे 615 दिन चला और इसने हमारी पृथ्वी के पूरे 8,900 चक्कर काटे. इस दौरान स्पेसबोर्न सुपरकम्प्यूटर ने अपना कार्य सुचारू ढंग से किया. जो सुपरकम्प्यूटिंग की ताकत को साबित करने के लिए पर्याप्त है.

सोवियत संघ द्वारा 1957 में सफलतापूर्वक दो सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग से ही कम्प्यूटर अंतरिक्ष अभियानों का साथी रहा है. इसलिए, सुपरकम्प्यूटर के द्वारा अंतरिक्ष की गुत्थियां सुलझाने में बहुत मदद मिली है.

#5 इंसानी सीमा का तोड़

हम इंसानों की कार्यक्षमता बहुत ही कम है. वैसे दुनिया का सबसे तेज और शक्तिशाली सुपरकम्प्यूटर भी हम इंसानों द्वारा ही बनाया गया है. लेकिन, उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य हम इंसानों के मस्तिष्क की क्षमता से बाहर है.

इसलिए, सुपरकम्प्यूटर ने इंसानों को शक्तिशाली बनाया है और उनकी कार्यक्षमता में भी इजाफा किया है.

सुपरकम्प्यूटर और पर्सनल कम्प्यूटर में मुख्य अंतर – Main Difference between a Supercomputer and Personal Computer in Hindi

अगर में कहूँ कि आपके हाथ में भी एक सुपरकम्प्यूटर है तो क्या आपको मेरी बात पर विश्वास होगा?

बिल्कुल नहीं. आप ये मान ही नहीं सकते कि सुपरकम्प्यूटर ऐसा भी होता होगा.

इसलिए, अक्सर यह सवाल जरूर पूछा जाता है कि एक साधारण डेस्कटॉप कम्प्यूटर और शक्तिशाली सुपरकम्प्यूटर में क्या अंतर होता है?

पर्सनल कम्प्यूटर और सुपरकम्प्यूटर में अंतर

क्र. सं. अंतर पर्सनल कम्प्यूटर सुपरकम्प्यूटर
  1. परिभाषा सामान्य-उद्देश्य के लिए निर्मित व्यक्तिगत कम्प्यूटर होता है. यह कार्य-विशेष के लिए निर्मित संस्थागत कम्प्यूटर होता है.
2.   स्पीड़ इसकी स्पीड सुपरकम्प्यूटर की तुलना में बहुत कम होती है. जिसे MIPS में मापा जाता है. सुपरकम्प्यूटर की स्पीड को FLOPS में मापा जाता है. जो एक पीसी से लाखों गुना अधिक होती है.
3.   सीपीयू पर्सनल कम्प्यूटर में केवल एक सीपीयू होता है. सुपरकम्प्यूटर में हजारों सीपीयू एक साथ काम करते हैं.
4. आकार पर्सनल कम्प्यूटर का आकार बहुत छोटा होता है. जो एक स्टडी टेबल पर समा जाता है. मगर, सुपरकम्प्यूटर आकार में बहुत विशालकाय होते हैं और उन्हे रखने के लिए कई कमरे भी कम पड़ जाते हैं.
5. उपयोग पर्सनल कम्प्यूटर का उपयोग सामान्य घरेलू और व्यावसायिक कार्यों के निपटाने हैतु किया जाता हैं. सुपरकम्प्यूटर का उपयोग जटिल वैज्ञानिक गणनाएं, मेडिकल शोध, अंतरिक्ष कार्यों, मौसम की भविष्यवाणी, जलवायु परिवर्तन आदि कार्यों में होता हैं.
6. स्थान घर तथा कार्यालय में मिल जाते हैं. शोध केंद्र, अंतरिक्ष केंद्र, लैबोरेट्रीज, सरकारी संस्थान आदि.
7. कीमत आम जनता के बजट में कीमत होती है. सुपरकम्प्यूटर की कीमत हम इंसानों के बजट से बाहर होती है. ये बहुत महेंगे होते हैं.

ऊपर दी गई अंतर तालिका से साफ है कि एक पर्सनल कम्प्यूटर तथा सुपरकम्प्यूटर की बनावट, आकार, कीमत, कार्यशैली में बहुत बड़ा अंतर होता है.

सुपरकम्प्यूटर से संबंधित सामान्य सवाल-जवाब – Common FAQs about Supercomputer in Hindi

सवाल: #1 – सुपरकम्प्यूटर को परिभाषित कीजिए.

जवाब – मैंने ऊपर सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा  दी है. आपकी सुविधा के लिए एक बार पुन: सुपरकम्प्यूटर को परिभाषित कर रहा हूँ.

सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा – Supercomputer Definition in Hindi

सुपरकम्प्यूटर दुनिया का सबसे शक्तिशाली कम्प्युटर है जिसका उपयोग जटिल गणितीय एवं वैज्ञानिक गणनाओं की प्रोसेसिंग तथा हाइ-लेवल कम्प्यूटिंग में किया जाता है. इसकी कार्यक्षमता को MIPS के बजाए FLOPS में मापा जाता है. एक सुपरकम्प्यूटर में हजारों सीपीयू लगे रहते है जो एक सैकण्ड़ में अरबों गणनाएं एक साथ करते है. CDC 6600 दुनिया का पहला सुपरकम्प्यूटर था जिसे माननीय Seymour Cray द्वारा विकसित किया गया था.

सवाल: #2 – सुपरकम्प्यूटर कितना शक्तिशाली होता है?

जवाब – सुपरकम्प्यूटर की शक्ति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि एक सुपरकम्प्यूटर में कई हजार माइक्रोप्रोसेसर लगे रहते है. और सभी एक साथ टास्क को पूरा करने के लिए काम करते है.

पर्सनल कम्प्यूटर्स की कार्यक्षमता को MIPS में मापा जाता है जो कम्प्यूटर कैसे काम कर रहा है को मापने का काम करती है. जिसे आप GHz भी कहते है.

वहीं, सुपरकम्प्यूटर की कार्यक्षमता को Floating Point Operations Per Second में मापा जाता है. इस दौरान कम्प्यूटर क्या कर रहा है इसे मापने पर जोर रहता है.

शुरुआत से ही FLOPS की बढ़ती संख्या ही शक्ति का निर्धारण करने का एकमात्र पैमाना रहा है. नीचे सारणी में आप FLOPS की गणना देख सकते है.

Unit FLOPS
Hundred FLOPS 100 = 102
KFLOPS (kiloflops) 1000 = 103
MFLOPS (megaflops) 1000000 = 106
GFLOPS (gigaflops) 1000000000 = 109
TFLOPS (teraflops) 1000000000000 = 1012
PFLOPS (petaflops) 1000000000000000 = 1015
EFLOPS (exaflops) 1000000000000000000 = 1018

सवाल: #3 – सुपरकम्प्यूटर का आविष्कार कब और किसने किया?

जवाब – सुपरकम्प्यूटर का आविष्कार माननीय Seymour Cray ने सन 1964 में किया था. उनके द्वारा दुनिया का पहला सुपरकम्प्यूटर CDC 6600 विकसित किया गया था.  

सवाल: #4 – दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपरकम्प्यूटर का क्या नाम है?

जवाब – दुनिया का सबसे तेज और शक्तिशाली सुपरकम्प्यूटर आइबीएम का IBM Summit  है जो Oak Ridge, U.S. में स्थापित है. इसकी स्पीड 1,48,600 TFLOPS है.

Summit Supercomputer Image

सवाल: #5 – सुपरकम्प्यूटर किस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते है?

जवाब – दुनियाभर में मौजूद अधिकतर सुपरकम्प्यूटर Linux OS पर चलते है. साथ में प्रत्येक नोड़ (नेटवर्क से जुड़ा हुआ एक कम्प्यूटर) अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है. जो एक छोटा तथा दक्ष Kernel (CNK अथवा CNL) का इस्तेमाल भी करते है.

सवाल: #6 – दुनिया के टॉप 10 सुपरकम्प्यूटर कौनसे है?

जवाब – दुनिया के टॉप सुपरकम्प्यूटर भारत के बाहर ही मौजूद है. जिनके नाम नीचे दें रहा हूँ.

Top 10 Supercomputers

  1. IBM Summit
  2. IBM Sierra
  3. Sunway TaihuLight
  4. Tianhe-2A (Milky Way 2A)
  5. Frontera – Dell
  6. Piz Daint – Cray
  7. Trinity – Cray
  8. AI Bridging Cloud Infrastructure (ABCI) – Fujitsu
  9. SuperMUC-NG – Lenovo
  10. IBM Lassen

सवाल: #7 IBM Summit के बारे में बताइए?

जवाब – आइबीएम समिट अमेरिका के ऊर्जा विभाग की ओक रिज नेशनल लेबोरेट्री में स्थापित है. जो IBM Power System AC922, IBM Power922C 3.07 GHz, NVIDIA Volta GV100, Dual-rail Mellanox EDR InfiniBand के साथ आता है. इसके साथ 2.42 Million Cores तथा 148.6 PFLOPS की स्पीड है.

 सवाल: #8 – सुपरकम्प्यूटर की कीमत कितनी होती है?

जवाब – सुपरकम्प्यूटर की कीमत एक आम नागरिक की जेब से बाहर होती है. वैसे भी हमारा काम एक स्मार्टफोन से हो जाता है तो सुपरकम्प्यूटर खरिदना पैसे की बर्बादी ही है.

वैसे भी शुरुआती सुपरकम्प्यूटर आपके स्मार्टफोन से भी कम तेज थे. अब आप खुद अंदाजा लगा लो कम्प्यूटिंग का स्तर कितना बढ़ गया है.

सुपरकम्प्यूटर स्पेस एजेंसियों, वेदर डिपार्टमेंट, मेडि‌कल संस्थानों, यूनिवर्सिटीज आदि जगहों के लिए बनाए जाते है. आम यूजर के लिए इन्हे विकसित नहीं किया जाता है.

सवाल: #9 – भारत का पहला सुपरकम्प्यूटर का क्या नाम है?

जवाब – भारत का पहला सुपरकम्प्यूटर PARAM 8000 था, जिसे 1991 में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एड़वांस कम्प्यूटिंग द्वारा विकसित किया गया था. परम सुपरकम्प्यूटर को ICAD Moscow में स्थापित किया गया था.  

आपने क्या सीखा?

इस लेख में मैंने आपको सुपरकम्प्यूटर के बारे में पूरी जानकारी दी है. आपने जाना कि सुपरकम्प्यूटर क्या होता है, सुपरकम्प्यूटर के उपयोग, सुपरकम्प्युटर के विभिन्न प्रकार.

साथ ही सुपरकम्प्यूटर और पर्सनल कम्प्यूटर में अंतर तथा सुपरकम्प्यूटर से जुड़े हुए सामान्य सवाल-जवाब भी जाने है.

मुझे उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा. और आपको सुपरकम्प्यूटर के बारे में बुनियादी जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा.

आप इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि वे भी सुपरकम्प्यूटर के बारे में जान सके.

#BeDigital

5 thoughts on “Supercomputer क्या है सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा, इतिहास, फीचर्स तथा विशेषताओं की हिंदी में जानकारी”

  1. काफी अच्छी पोस्ट लिखी है आपने सुपर कंप्यूटर के उपर और रही बात कीमत की तो सच में ये हमारी जेब से बहार है लेकिन फिर भी जानकरी के लिए तो इसके लिए खरीदने वाले को कड़ोरो खर्चने पड़ेंगे

    Reply
    • गंगाबिशन जी, आप इस कुंजि को दबाएं उपयोग हो जाएगा. कीबोर्ड की हर कुंजि दबाने पर ही काम करती है.

      Reply

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel