“भैया और दिखाओं.”
“कुछ नया दिखाओं ना!”
“कुछ ट्रेडिसनल दिखाओ.”
क्या आपने सुने है ये सवाल?
जरुर सुने होंगे. जब आप किसी दुकान पर शॉपिंग करने जाते है तब यहीं सवाल आप खुद भी करते है. और पहले से खरीदारी करने आए कस्टमर के मूँह से भी सुनने को मिलते है समय के साथ हर चीज बदल जाती है. इसी तरह हमारा शॉपिंग करने और व्यापार करने का तरीका भी बदल रहा है. और हमें अब कुर्सी खरीदने के लिए पास के फर्नीचर स्टोर तक जाने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि आप ये काम घर बैठे-बैठे एक क्लिक द्वारा कर सकते है जी हाँ! आपने सही सुना एक क्लिक से आप अपनी जरुरत का सामान खरीद सकते है और बेच भी सकते है. ये सहुलियत दी है ई-कॉमर्स ने जानिए आज के लेख में ई-कॉमर्स की पूरी जानकारी और समझिए ई-कॉमर्स क्या है और कैसे शॉपिंग करने का तरीका बदल दिया है इसनें अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस लेख को निम्न भागों में बांट दिया है. ताकि आप एक-एक टॉपिक को आसानी से समझ सके.
Table of Content
ई-कॉमर्स क्या है – What is E-commerce in Hindi?
E-commerce, जिसे इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स भी कहते है, इंटरनेट तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से उत्पाद, और सेवाएं खरिदना-बेचना तथा ऑनलाइन मनी ट्रांसफर करना एवं डेटा शेयर करने की प्रक्रिया है. ई-कॉमर्स में फिजिकल प्रोडक्ट्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक ग़ुड्स तथा सेवाओं का व्यापार भी होता है.
- अगर और आसान शब्दों में कहें तो ऑनलाइन शॉपिंग करना ही ई-कॉमर्स कहलाता है. आप फिजिकल प्रोडक्ट (फर्नीचर, किचन आइटम, इंडस्ट्री मशीनरी आदि), डिजिटल गुड्स (ई-बुक्स, ई-मैगजीन्स, ई-पेपर, विडियो कोर्स, ग्राफिक्स, पेंटिग्स आदि) एवं सेवाएं (कंसल्टेंसी, टीचिंग, राइटिंग़, हेल्थ एडवाइस, लिगल एडवाइस आदि) ऑनलाइन खरीद-बेच सकते है.
- ई-कॉमर्स के जरिए दुकान और सामान सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर रह गई है. आप बस सामान सेलेक्ट कीजिए, भुगतान कीजिए और हो गई शॉपिंग. आप ना दुकान गए, ना पैसे गिने, ना दुकानदार से मिले. इतना ही आसान है ई-कॉमर्स द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग करना.
- अमेजन, फ्लिपकार्ट, वॉलमार्ट, बिगबास्केट, अलिबाबा, पेटीएम मॉल, मिंत्रा, स्नेपडील, शॉपक्लूज आदि ई-कॉमर्स खिलाडियों (ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस) ने ऑनलाइन शॉपिंग को व्यापक स्तर पर पहुँचा दिया है और अपने ग्राहकों तक आसान पहुँच सुनिश्चित भी की है. इससे ग्राहकों के साथ-साथ मर्चेंट्स को भी लाभ हुआ है.
- ई-कॉमर्स वेबसाइट तथा मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए किया जाता है. जिसमें पेमेंट गेटवे, SSL Certificates, Inventories, Taxes, Encrypting Technologies आदि इंटीग्रेटेड कर जाती है ताकि शॉपिंग के दौरान ग्राहक के साथ कोई धोखाधडी ना हो पाए और उसे सारी सुविधाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराई जा सके.
- मगर, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स, ऑनलाइन चैटिंग, कॉलिंग आदि इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भी ई-बिजनेस किया जा रहा है. लेकिन इन सभी से वेबसाइट और एप साफ विजेता साबित हुए है.
E-commerce शब्द को लिखने का तरीका
E-commerce शब्द को सही लिखने में गलती हो जाती है. क्योंकि इस शब्द के कई रुप प्रचलित है और खूब अखबारों से लेकर ब्लॉग पोस्ट्स तक में लिखें जाते है.
मगर खुशी की बात यह है कि ये सभी रूप मान्य है और सही भी है. आप किसी भी तरह ई-कॉमर्स लिख सकते है. नीचे कुछ प्रचलित रुप दिए जा रहे है.
- ई-कॉमर्स
- ई-कॉमर्स
- E-commerce
- E-commerce
- E-commerce
- e-commerce
- e commerce
अब पसंद आपकी है आपको कौनसा शब्द लिखने में सहुलियत होती है. मगर हम यहाँ हिंदी के लिए ई-कॉमर्स (हमने भी यही शब्द रूप इस्तेमाल किया है) और अंग्रेजी के लिए E-commerce शब्द की सलाह देंग़े.
ई-कॉमर्स का इतिहास – History of E-commerce in Hindi?
- 11, अगस्त 1994 कि एक दोपहर को ‘फिल ब्रेंडनबर्जर’ ने अपना कम्प्यूटर शुरु किया और NetMarket (एक ऑनलाइन स्टोर) से स्टिंग (Sting) की सीडी को $12.48 में खरिदा जिसका भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया. इस सीडी का नाम ‘Ten Summoners’ Tales’ था.
- इस घटना ने इतिहास रचा था. और आज भी इसे ही असल ई-कॉमर्स ट्राजेंक्शन माना जाता है. क्योंकि इस ऑनलाइन ट्राजेंक्शन के दौरान पहली बार Encryption Technology का उपयोग ऑनलाइन शॉपिंग मे हुआ था. जो आज आम बात हो गई है.
- मगर, ई-कॉमर्स का जन्म भी इंटरनेट के समय ही हो गया था. क्योंकि युनिवर्सिटिज, शैक्षिक संस्थान, शोधार्थी. वैज्ञानिक अपने रिसर्च पेपर तथा शैक्षिक सामग्री का आदान-प्रदान करने लगे थे. यह प्रोसेस एर्पानेट के बनने के बाद अपने कदम रख चुकी थी.
- 1960 के दौरान बिजनेसेस ने अन्य कंपनियों के साथ अपने बिजनेस डॉक्युमेंट Electronic Data Interchange (EDI) का उपयोग करते हुए शेयर करने शुरु कर दिए. फिर 1979 में American National Standard Institute ने बिजनेस डॉक्युमेंट शेयर करने के लिए सार्वभौनिक मानक तैयार किए जिन्हे ASC X12 के नाम से जाना जाता है.
- इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों जैसे eBay, Amazon आदि का जन्म शुरु हुआ. और ई-कॉमर्स क्राति की शुरुआत हो गई.
- डॉक्युमेंट शेयरिंग से शुरु हुई तकनीक आज हमारे हाथ में समा चुकि है. और हम दुनिया के किसी भी कोने से ऑनलाइन उपलब्ध वस्तु को एक क्लिक करके खरिद सकते है. ई-कॉमर्स की असल ताकत यही है.
- लेकिन, इस ऐतिहासिक घटना क्रम के दौरान बहुत सारी घटनाएं हुई और नये प्लेटफॉर्म्स, टूल्स, तकनीक का इजात हुआ, जिसका संक्षिप्त वर्णन E-commerce Timeline में दिया जा रहा है.
- यह E-commerce History Timeline बनाने में विकिपीडिया और बिगकॉमर्स पर उपलब्ध जानकारी का सहारा लिया गया है.
E-commerce History Timeline
- 1969 – CompuServe की स्थापना हुई
- 1979 – माइकल एल्ड्रिच ने इलेक्ट्रॉनिक शॉपिंग का आविष्कार किया
- 1981 – Thomson Holidays UK पहला B2B ऑनलाइन शॉपिंग सिस्टम शुरु हुआ
- 1982 – फ्रांस टेलिकॉम नें Minitel को ऑनलाइन ऑर्डर लेने के लिए शुरु किया
- 1982 – बोस्टन कम्प्युटर एक्सचेंज ने अपना पहला ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म लॉच किया
- 1990 – टिम बर्नर्स ली ने पहला वेब ब्राउजर का कोड लिखा
- 1992 – बुक स्टैक्स अनलिमिटेड ने किताबों का पहला मार्केटप्लैस शुरु किया जिसकी वेबसाईट www.books.com थी. अब यह वेबसाईट www.barnesandnoble.com हो गई है.
- 1994 – नेटस्केप ने नेटस्केप नेविगेटर शुरु किया
- 1994 – NetMarket से Ten Summoner’s Tales पहली सुरक्षित खरीदारी बनी जिसे क्रेडिट कार्ड के माध्यम से खरीदा गया
- 1995 – eBay तथा Amazon ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाईट शुरु हुई
- 1998 – PayPal को ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में शुरु किया गया
- 1999 – Alibaba.com की शुरुआत
- 2000 – गूगल ने AdWords शुरु की
- 2005 – एमेजन ने अपने ग्राहकों के लिए Amazon Prime सेवा शुरु की
- 2005 – दस्तकारी तथा पुराने कीमती सामात (Vintage Goods) ऑनलाइन बेचने-खरिदने के लिए Esty मार्केटप्लेस शुरु हुआ
- 2009 – ऑनलाइन स्टोरफ्रंट प्लैटफॉर्म BigCommerce शुरु हुआ
- 2009 – Square, Inc. की शुरुआत हुई
- 2011 – Google Wallet को ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के लिए शुरु किया गया
- 2011 – फेसबुक ने Sponsored Stories नाम से विज्ञापन शुरु किया
- 2011 – Stripe की शुरुआत
- 2014 – Apple Pay को मोबाइल पेमेंट के लिए शुरु किया गया
- 2014 – Jet.com की शुरूआत
- 2017 – Instagram Shoppable Posts पेश की गई
- 2020 – रिलायंस रिटेल द्वारा Jio Mart की शुरुआत की गई.
ई-कॉमर्स का प्रकार – Types of E-commerce in Hindi?
ई-कॉमर्स मुख्य रूप से सात Models of E-commerce से संचालित होता है. जिनका वर्णन इस प्रकार है.
- Business to Business (B2B)
- Business to Consumer (B2C)
- Consumer to Consumer (C2C)
- Consumer to Business (C2B)
- Government to Business (G2B)
- Business to Government (B2G)
- Consumer to Government (C2G)
Business to Business Model
जब ऑनलाइन बिजनेस दो से अधिक बिजनेस कंपनियों, संस्थानों, एजेंसियों के बीच किया जाता है तो यह Business to Business Model (B2B) कहलाता हैक्योंकि इस प्रोसेस में अंतिम उपभोक्ता आप या हम नहीं होते है. बल्कि, एक दूसरा व्यापार ही होता है जो दूसरे व्यापार से अपनी जरूरत का सामान ऑनलाइन खरीदता है. इस बिजनेस मॉडल में उत्पादक, थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी शामिल होते हैयहाँ पर व्यापारी अधिकतर कच्चा सामान, रिपैकिंग होने वाला सामान खरीदते है और सेवाओं के रूप में सॉफ्टवेयर तथा कानूनी सलाह शामिल होती है. मगर यहीं तक सीमित नहीं है.
Business to Consumer Model
ई-कॉमर्स का सबसे प्रचलित रुप B2C है. जब आप एक प्रकाशक से अपने लिए कोई किताब ऑर्डर करते है तो यह शॉपिंग इसी बिजनेस मॉडल में शामिल होती है. क्योंकि यहाँ पर ट्रांजेक्शन सीधा बिजनेस से उपभोक्ता के बीच होता है.
Consumer to Consumer Model
यह मॉडल शुरुआत का बिजनेस मॉडल है. इस ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल में एक ग्राहक दूसरे ग्राहक से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करता है. eBay, Amazon पर आपको कुछ इसी तरह का मॉडल देखने को मिलता है. जहाँ पर एक ग्राहक अपना पुराना सामान तथा नया सामान भी सीधे ग्राहक को बेचता है.
Consumer to Business Model
जब एक ग्राहक अपना सामान अथवा सेवाएं सीधे एक बिजनेस को बेचता है तो यह ई-कॉमर्स मॉडल C2B कहलाता है.
एक फोटोग्राफर, गायक, कॉमेडियन, नृतक, यूट्युबर आदि अपने दर्शकों के हिसाब से बिजनेस से उत्पाद प्रचार के शुल्क लें सकते है और अपनी कुछ सेवाएं रॉयल्टी के आधार पर भी उपलब्ध करा सकते है.
ये सभी कार्य Consumer to Business Model के अंतर्गत आते है. पेशेवर लोग इस बिजनेस मॉडल से खूब पैसा कमाते है.
Government to Business Model
इस बिजनेस मॉडल का सबसे अच्छा उदाहरण है ई-गवर्नेंस. जिसके तहत सरकारे अथवा प्रशासनिक संस्थान अपनी सेवाएं व्यापारिक संस्थानों को इंटरनेट के द्वारा उपलब्ध करवाती है.
इन सेवाओं की सूची देश काल के हिसाब से भिन्न हो सकती है. कानूनी दस्तावेज, पंजिकरण, सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, नौकरी प्रावधान तथा अन्य व्यापारिक सेवाएं सरकारें ऑनलाइन मुहैया करा रही है. जिससे सरकार और व्यापारिक प्रतिष्ठानों का समय और पूंजी दोनों बच रहे है.
Business to Government Model
जब सरकारें अपनी जरूरत का कुछ सामान अथवा सेवाएं बिजनेस से ऑनलाइन खरीदती है तो इसे B2G ई-कॉमर्स मॉडल कहा जाता है. उदाहरण, किसी लोकल सरकारी एजेंसी को अपने अधिकार क्षेत्र में CCTV Cameras लगवाने है तो वह इसके लिए किसी कैमरा स्टोर से कैमरा खरीदती है. और उन्हे लगवाने का ठेका भी किसी बिजनेस को दे सकती है. यह सब कार्य इसी मॉडल में आते है.
भारत देश में इसका सबसे अच्छा उदाहरण बाबारामदेव का लोकप्रिय स्वदेशी पंतजली ब्रांड (निजी व्यापार) है जो अपने उत्पाद भारतीय सेना (सरकारी संस्था) को बेच रहा है. यह बिजनेस मॉडल B2G के अंतर्गत ही है.
Consumer to Government Model
ई-गवर्नेंस सेवा यहाँ भी लागु होती है. क्योंकि एक आम नागरिक का भी बहुत सारा सरकारी कामकाज रहता है. जिसके लिए उसे सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते है.
मगर जब सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती है तो ग्राहक सीधा वेबसाइट या एप के माध्यम से इन सेवाओं का लाभ ले सकता है. ई-मित्र सेवा, उमंग, ई-फिलिंग, डिजिलॉकर, फास्टैग आदि इसी मॉडल के उदाहरण है.
ई-कॉमर्स का फायदा – Advantages of E-commerce in Hindi?
ई-कॉमर्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको सामान खरीदने के लिए दुकानदार या स्टोर तक नहीं जाना है बल्कि सामान खुद आप तक आ जाएगा. आप बस ऑर्डर कीजिए और भुगतान करके डिलिवरी एड्रेस चुन लिजिए और हो गई खरीदारीलेकिन इसके अलावा भी बहुत सारे अन्य फायदें एक ग्राहक को होते है जिनका विवरण इस प्रकार है.
#1 विश्वव्यापी (Global Reach)
आप ई-कॉमर्स की सहायता से पूरी दुनिया में पहुँच बना लेते है. यदि आप एक विक्रेता है तो आपके लिए नये ग्राहक ढूँढने की जरूरत नहीं रहती है. क्योंकि पूरी दुनिया आपका ग्राहक बनने के लिए तैयार है. और ग्राहक के लिए दुनियाभर के स्टोर सामान बेचने के लिए उपलब्ध रहते है. वह अपनी पसंद का कुछ भी सामान आराम से देखकर और जानकारी करके खरीद सकता है.
#2 सस्ता (Cheap Rate)
ई-कॉमर्स का संचालन एक किराना की दुकान के बराबर भी नहीं होता है यदि आप ऑनलाइन खुद का स्टोर फ्रंट बनाते है. आप बिना एक रुपया खर्च करें ऑनलाइन दुकान शुरु कर सकते है. इसलिए ग्राहकों को ज्यादा सस्ता प्रोडक्ट खरिदने को उपलब्ध रहते हैक्योंकि कंपनियों को बिचौलियां का सहारा नहीं लेना पड़ता है. इनकी लागत का सीधा असर प्रोडक्ट की लागत पर होता है. चुकि इनकी जरूरत खत्म सी हो जाती है. इसलिए प्रोडक्ट की वास्तविक कीमत कम हो जाती है. और आपको सामान खरीदने के लिए दुकान भी नही जाना है तो किराया और पेट्रोल-डीजल की बचत भी जोड सकते है.
#3 आसान शॉपिंग (Easy Shopping)
ऑनलाइन सामान खरीदना आसान होता है. लोगों ने खुद माना है कि उन्हे दुकान से सामान खरीदने की बजाए ऑनलाइन सामान खरीदना ज्यादा आसान लगता हैऔर यह तरीका उन लोगों के लिए कारगर है जिन्हे स्टोर, मॉल्स पर जाने में दिक्कत या असहजता महसूस होती है. वह अपना मन पसंद सामान आराम से घर से, ऑफिस से, कॉलेज आदि से ऑर्डर कर सकते है और उसे मन पसंद जगह पर मंगवा भी सकते है.
#4 हर समय उपलब्धता (Availability)
गली की दुकान या मॉल की भांति ऑनलाइन स्टोर का कोई खुलने-बंद होने का समय तय नहीं है. आप 24×7 शॉपिंग कर सकते है. यह दुकान साल के 365 दिन खुली रहती है.
#5 जल्दी खरीदारी संभव (Fast Checkouts)
यदि आप किसी स्टोर पर जायेंग़े तो आपको पहले से पहुँचे हुए ग्राहकों के निपटने का इंतजार करना पडेगा इसके बाद आपका नंबर आता है. और यदि आपको ज्यादा आइटम खरीदने है तब तो आपको कई-कई स्टोर्स के चक्कर लगाने पड सकते है. जो एक थका देने वाला काम साबित हो सकता हैमगर, ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान आपको कहीं भी जाने की जरूरत नहीं क्योंकि आप सारा सामान एक जगह से ऑर्डर कर सकते है और लाइन में लगने की भी जरूरत नहीं रहती हैयदि आप एक से ज्यादा आइटम खरीद रहे तो सर्च फीचर का इस्तेमाल करके अपने लिए प्रोडक्ट ढूँढ़ सकते है ब्राउज करके एक-एक आइटम की जानकारी लेकर उसे Add to Cart अगले आइटम की खोज कर सकते है.
#6 पर्सनल सिफारिश (Personal Recommendations)
ऑनलाइन स्टोर आपके सर्च व्यवहार और पुरानी शॉपिंग के आधार पर आपके लिए प्रोडक्ट की सिफारिशे करता है. और आपकी पसंद नापसंद के हिसाब से प्रोडक्ट्स सुझाता है. यह सुविधा एक फिजिकल स्टोर पर नहीं मिलती.
ई-कॉमर्स का नुकसान – Disadvantages of E-commerce in Hindi?
जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते है. उसी तरह ई-कॉमर्स के फायदें है तो कुछ नुकसान भी होते है. जो ग्राहक को कई मुसीबतों में फंसा सकते हैं.
प्रोडक्ट की असल जानकारी नहीं (No Touch or Seeing)
एक सामान्य स्टोर से कोई आइटम खरीदते समय हम आइटम को कई तरीकों से जांच कर सकते है. और साथीयों से भी सलाह ले सकते हैमगर, ऑनलाइन स्टोर से सामान खरीदते समय यह सुविधा नहीं मिल सकती है. क्योंकि आप कम्प्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से एक सोफा की जांच नही कर सकते है. जो सेलर द्वारा उस आइटम के बारे में लिखा जाता है. हमे उस पर ही निर्भर रहकर सामान की खरिदी करनी पड़ती है.
आत्म संतुष्टी कम (No Self Satisfaction)
जब ग्राहक अपने हाथों से आइटम को छू कर देखता है और आंखों से देख और परख लेता है तब उसे जो संतुष्टी मिलती है उसकी तुलना ऑनलाइन खरिदी से संभव नहीं है. क्योंकि आपको छूने और देखने की सुविधा नही मिलती हैहाँ आप प्रोडक्ट के फोटों को देखकर खुश हो सकते है. यही सच्चाई है!
तकनीक का ज्ञान (Need of Tech Knowledge)
यदि आप ऑनलाइन शॉपिंग करना चाहते है तो आपको डिजिटल साक्षर होने की जरूरत है. यदि आपको कम्प्यूटर, इंटरनेट, नेट बैंकिंग आदि का व्यावहारिक ज्ञान नहीं है तो आपके लिए ऑनलाइन शॉपिंग बेकार है.
असुरक्षित (Security)
ई-कॉमर्स पर धोखाधडी की सबसे ज्यादा संभावना रहती है. क्योंकि ऑनलाइन धोखाधडी करना ज्यादा आसान और बारिक है. इसे एक सामान्य युजर नहीं पहचान पाता हैइसलिए इसे असुरक्षित माना गया है. साइबर क्राइम का बढ़ता ग्राफ इसे और मजबूती देता है. फिशिंग, कीलॉगर्स, डुप्लिकेट यूआरएल आदि वे तरीके है जिनके जरिए ऑनलाइन धोखाधडी की जाती है.
ग्राहक सेवा की कमी (Lack of Customer Service)
स्टोर से खरीदारी करते समय आप बहुत सारी शंकाओं का समाधान मिनटों में प्राप्त कर सकते है. आप कैशियर, क्लर्क, मैनेजर से सीधे मिलकर सवाल कर सकते है. मगर ऑनलाइन स्टोर पर यह सुविधा नहीं होती है और आपको एक निश्चित समय का इंतजार करना पडेगा यदि आप किसी सवाल का जवाब लेना चाहते है.
सामान के लिए इंतजार (Wait for Delivery)
आपने भुगतान किया और सामान आपका. मगर ऑनलाइन स्टोर पर ऐसा नहीं है. भुगतान करने के बावजूद भी आपको सामान के लिए इंतजार करना पडता है. जो गाहकों में खीज पैदा करता है. और इसे कुछ बिजनेस न तो अतिरिक्त पैसा कमाने का जरिया बना रखा है. जो ग्राहक के अधिकारों के साथ भी खिलवाड़ है.
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स – E-commerce Platforms
आपने ये तो जान लिया कि ई-कॉमर्स के माध्यम से सामान और सेवाओं को इंटरनेट के जरीए बिचा जाता है. मगर कैसेक्या आपने कभी सोचा है एक ऑनलाइन स्टोर कैसे बनता हैचलिए हम बता देते हैदरअसल, ई-कॉमर्स इंफॉर्मेशन तकनीक के कई टूल्स का सहारा लेकर किया जाता है और एक ऑनलाइन स्टोर को बनाने में बहुत सारे अलग-अलग टूल्स इस्तेमाल होते है. जिनके जरिए ऑनलाइन स्टोर बनाए जाते है. ऑनलाइन स्टोर्स को हम दो वर्गों में बांट सकते है.
- Online Storefronts
- Online Marketplaces
Online Storefronts
आमतौर पर मर्चेंट अपना ऑनलाइन स्टोर किसी वेबसाइट के माध्यम से बनाते है. यह सबसे सीधा और आसान तरीका है ऑनलाइन स्टोर बनाने का. और अधिकतर बिजनेस इसी तरह अपना व्यापार कर रहे हैमर्चेंट्स शॉपिंग कार्ट, पेमेंट गेटवे तथा ई-कॉमर्स टूल्स का इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन स्टोर बना लेते है. तथा अपना सामान और सेवाएं बेचते है. ऑनलाइन स्टोरफ्र्न्ट्स बनाने के लिए बहुत सारे प्लैटफॉर्म उपलब्ध है. नीचे कुछ लोकप्रिय प्लैटफॉर्म्स के नाम दिए जा रहे है
- Magento – यह सबसे लचिला और लोकप्रिय ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्लैटफॉर्म है. जो मर्चेंट्स को शक्तिशाली फीचर्स, आसान कस्माईजेशन, एड-ऑन्स उपलब्ध करवाता है. साथ ही विशेषज्ञों का समूह, डवलपर तथा एजेंसियों की सेवा आपके लिए मौजूद रहती है.
- Demandware – यह एक क्लाउड आधारित ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्रोवाइडर है.
- Oracle Commerce – यह एक B2B तथा B2C ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्रोवाइडर है.
- Shopify – यदि आप आसानी से एक स्टोरफ्रंट बनाने की सोच रहे थे शॉपिफाई आपके लिए यह सुविधा दे सकता है. क्योंकि इसके Drag-and-Drop Builder द्वारा अपना ई-कॉमर्स स्टोर बनाना पत्ते सजाना जैसा काम है. शॉपिफाई टेम्प्लेट्स, इंवेंट्री टूल्स, बाई बटन, पेमेंट शॉल्युशन आदि एक ही जगह उपलब्ध करवाता है.
- WooCommerce – यदि आप एक वर्डप्रेस ब्लॉग को ऑनलाइन स्टोर में बदलना चाहते तो वूकॉमर्स इसमे आपकी मदद कर सकता है. यह एक ऑपन सॉर्स ई-कॉमर्स टूल है जो वर्डप्रेस साइट को एक ऑनलाइन स्टोर में बदलने के लिए आवश्यक फीचर्स उपलब्ध करवाता है. मगर साइट होस्टिंग, डोमेन नेम, एसएसएल, पेमेंट गेटवे आदि साइट ऑनर को संभालना पड़ता है. अन्य प्लैटफॉर्म्स में यह झंझट नही रहता.
- BigCommerce – यह प्लैटफॉर्म B2B ई-कॉमर्स के लिए शानदार फीचर्स उपलब्ध करवाता है. इसके जरिए बडे आराम से एक ऑनलाइन स्टोर बनाया जा सकता है. साथ में इसके द्वारा एक ब्लॉग, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर भी सेलिंग की जा सकती है.
- Drupal Commerce – यदि आप Drupal Platform का इस्तेमाल करते है तब आप इस टूल के द्वारा अपना ऑनलाइन स्टोर बन सकते है.
- Instamojo – यदि आप भारतीय सॉल्युशन ढूढ रहे तो इंस्टामोजो आपकी मदद कर सकता है. आप इस Instamojo Tool की सहायता से अपना खुद का स्टोरफ्रंट बना सकते है और सीधे पेमेंट भी ले सकते है. इंस्टामोजो बिल्ट-इन प्रोड्क्ट स्टोर बनाने की सुविधा मुफ्त उपलब्ध करवाता है. बस आपको प्रति ट्रांजेक्शन कुछ शुल्क देना पड़ता है. जो एक चाय के बराबर पड़ता है.
Online Marketplaces
ऑनलाइन मार्केटप्लेस एक प्रकार के बिचौलिये का काम करता है. ऑनलाइन मार्केटप्लेस मर्चेंट और ग्राहक के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करते है और अलग-अलग मर्चेंटों को एक जगह (ऑनलाइन बाजार) उपलब्ध करवाते है. ग्राहक का मर्चेंट से सीधा संबंध नही होता है. इस तरह के मार्केटप्लैस बहुत सारे उपलब्ध है जिनके द्वारा आज करोडों का ई-कॉमर्स व्यापार किया जा रहा हैकुछ लोकप्रिय मार्केटप्लैस के नाम
- Amazon – दुनिया की सबसे बडी ई-कॉमर्स मार्केटप्लैस होने का दावा ठोकने वाली अमेजन कंपनी परिचय का मोहताज नहीं है. दुनियाभर के ग्राहकों के बीच इसने अपनी पहचान कायम की है. और लोगों को a-z प्रोड्क्ट पहुँचाकर खुशी बांटने का मंगल काम कर रही है.
- Flipkart – यह भारतीय कंपनी एमेजन की तरह भारतीय मर्चेंट्स के लिए देशी तकनीक पर आधारित विश्वव्यापि मार्केट उपलब्ध करा रही है.
- eBay – यह ई-कॉमर्स की शुरूआती कंपनियों में से एक है. जो नए सामान के साथ पुराना सामान खरीदने-बेचने के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध करा रही है. इसका बिजनेस मॉडल C2C पर ज्यादा आधारित है.
- Etsy – इस मार्केटप्लेस पर हैण्डमैड, विंटिज और कुछ दुर्लभ वस्तुएं खरीदी-बेची जा सकती है.
- Alibaba – यह एक चीनी ई-कॉमर्स कंपनी है. जो थोक विक्रेताओं, निर्माताओं, सप्लायर्स, आयातक/निर्यातकों के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध कराती है.
- Indiamart – यह एक भारतीय मार्केटप्लेस है जो बिल्कुल एलिबाबा की तरह कार्य करता है.
- Fiverr – यह एक फ्रीलासिंग मार्केटप्लेस है जो पेशेवर लोगों को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने का काम करती है. यहाँ पर एक ग्राफिक डिजाईनर, वेब डवलपर आदि लोग इस मार्केटप्लेस से जुडकर अपनी सेवाएं मुहैया करा सकते है.
Example of E-commerce
ई-कॉमर्स विभिन्न तरीकों से हो सकता है. और व्यापारी फिजिकटल प्रोडक्ट से लेकर पत्र लिखने तक की सेवाएं इसके द्वारा उपलब्ध करा सकते है. नीचे ई-कॉमर्से के विभिन्न रूपों के बारे में बता रहे है.
Retail
यह खुदरा व्यापार कहलाता है. जिस तरह आप पडोस के किराना स्टोर से सामान खरीदते है ठीक इसी प्रकार इस बिजनेस मॉडल में भी किया जाता है. कोई बिचौलिया नहीं होता है. रिटेलर्स का सीधा संपर्क ग्राहक से होता है.
Wholesale
थोकव्यापार में वस्तुओं को समूह में बेचा जाता है. यहाँ पर ग्राहक रिटेलर्स होते है. क्योंकि असल उपभोक्ता से कोई संबंध नही रहता.
Dropshipping
उस उत्पाद को बेचना जिसका निर्माता कोई और है और उसकी डिलिवरी कोई और करने वाला है. यानी बेचने वाला का संपर्क सिर्फ ग्राहक से होता है उत्पाद वह खुद निर्माण नहीं करता. बल्कि किसी अन्य निर्माता के उत्पाद को बेचता है. ड्रॉपशिपिंग आजकल उभरते हुए बिजनेसेस में से एक बन चुका है लोगों के बीच खासकर जो 9-5 के जॉब से आजादी चाहते है इस बिजनेस को हाथों हाथ ले रहे है.
Crowdfunding
उत्पाद बाजार में आने से पहले ही लोगों से उसके बदले में पैसा लेना क्राउडफंडिग कहलाता है. यह स्टार्टाप बिजनेस के लिए शुराआती दौर में पैसे जुटाने का एक बढ़िया और आजमाया हुआ सिद्धांत है.
Subscription
किसी उत्पाद और सेवा की एक निश्चित समय अंतराल में पुन: खरीदि सब्सक्रिपशन कहलाती है. यह तरीका अधिकतर सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (SAAS) वाले बिजनेस मॉडल पर आजमाया जाता है. इसके साथ ऑनलाईन मैगजिन, ई-पेपर, सदस्यता फॉर्म्स आदि प्लैटफॉर्म्स इस बिजनेस मॉडल का इस्तेमाल करते है.
Physical Products
कोई भी सामान जिसका फिजिकल अस्तित्व होता है उसे बेचना इसमें शामिल है. इस दौरान प्रोडक्ट का ऑर्डर लिया जाता है फिर सामान उसे डिलिवर किया जाता है.
Digital Products
डाउनलोड किया जा सकने वाला गुड्स, टेम्प्लेट्स, कोर्स, ग्राफिक्स, फोटों, पैटिंग्स, ई-बुक आदि का उपयोग करने के खरिदना या फिर लाईसेंस खरीदना इस बिजनेस में शामिल होता है. कई पेशेवर इस बिजनेस मॉडल का खूब उपयोग कर रहे है.
Services
जब कोई पेशेवर अपने कौशल के बदले शुल्क लेता है तो यह इस बिजनेस मॉडल में शामिल ई-कॉमर्स होता है.
आपने क्या सीखा?
इस लेख में हमने आपको ई-कॉमर्स की पूरी जानकारी दी है. आपने जाना कि ई-कॉमर्स क्या है? इसके विभिन्न प्रकार, ई-कॉमर्स के बिजनेस मॉडल, इतिहास तथा मार्केटप्केस और स्टोरफ्रंट के बारे में विस्तार से जाना है. हमे उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा.
#BeDigital
Sir bahut axa padhate hai
Mujhe ek online shopping company me job ke liye interview dene jana tha aap ke is notes se kafi madad mili. Thanks
Aapne E-commerce Ke Upar Ek Accha Lekh Likha Hai…
osam jankari dii hai aapne ….mai sbhi se req. krunga ke aapka blog jroor read kre….i wil shared u.
This tutorial is Very helpful and fabulous for everyone thank you sir
Thanku sir…. This tutorial is so helpful for me… For my exam thanks a lot sir ji
helpful tutorial for my mppsc exam
10 va 5 ke sikke Vaishnav Mata ke kitne me bikenge batana .ok.sir
Mjhe ye Jana hai agar order Apke city k bahar as hai to use delivery kaise denge ya dur tak delivery kaise hogi Iske bare m details m bta digiye
विशाल जी, इस काम के लिए कोरियर या पोस्टल सर्विस का इस्तेमाल किया जाता है.
बहुत अच्छी जानकारी। इतनी अच्छी जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद। यह हमें कई तरीकों से मदद करेगा।
Tq sir
Nice Post and very Useful
Mujhe E-commerce me apna business karna hai kya karna hoga
अमन जी, आपको इस ई-कॉमर्स गाइड में सबकुछ बताया हुआ है.
मेरे 2 सवाल है कृपा बताऐ जी।
1 मुझे खुद को इ- काँमर्स रजिस्ट्रेशन कराकर बिजनेस करना हो तो क्या पैसा खर्च आऐगा।
2 किसी कम्पनी के साथ कनेक्ट होकर ई-काँमर्स होकर काम करता हु तो भी कितना खर्च आऐगा।
3 दोनो स्थित मे मुझे कितना % लाभ होगा।
सतीश जी, आपके दोनो सवाल बहुत उपयोगी है. चलिए हम एक-एक सवाल को लेकर बात करते है.
सवाल #1 ई-कॉमर्स बिजनेस रजिस्ट्रेशन कराने का खर्चा कितना है?
जवाब – सतीश जी एक ई-कॉमर्स बिजनेस भी नॉर्मल बिजनेस की तरह ही होता है. बस फर्क सिर्फ इतना है कि आप प्रोडक्टा या सर्विस ऑनलाइन उपलब्ध करवाते है. इसलिए, जो खर्चा अन्य बिजनेस रजिस्ट्रेशन में आता है वो खर्चा तो आपको यहां भी करना पड़ेगा. साथ में वेबसाइट, एप्स भी विकसित कराने के लिए अतिरिक्त पैसा देना होगा.
सवाल #2 – यदि आप किसी कंपनी के साथ जुड़ते है तो कितना खर्चा आएगा?
जवाब – यहां भी वहीं बात है पहले तो आपको अपना खुद का बिजनेस रजिस्ट्रेशन कराना ही होगा. इसके बाद ही आप खुद या किसी अन्य प्लैटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेच सकते है. जैसे अमेजन या अन्य मार्केट प्लैसेस पर अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए अपना बिजनेस होना चाहिए.
तो यहां भी वहीं खर्चा होना है. बस, आपको कुछ अतिरिक्त फायदें मिल जाते है. जिनकी अधिक जानकारी आप संबंधित मार्केटप्लैस से लें सकते है.
सवाल #3 – ज्यादा लाभ कब होगा?
जवाब – दोनों ही बिजनेस मॉडल अपनी-अपनी जगह फायदेंमंद है. आपको जो बिजनेस मॉडल ज्यादा पसंद उसे ट्राइ करिए या फिर आप दोनों का मिश्रण करके खुद का हाइब्रिड मॉडल भी बना सकते है.
Kya koi bhi company online work karti hai to vo e commerce ke under aati hai
मुबीन जी, सही कहां आपने.
Kya e commerce Bussiness karne ke liye koi licence chahiye or isme kya products bech sakte He
रकेश जी, हर बिजनेस के लिए रजिस्ट्रेशन हो करवाना ही पड़ता है. यदि आप अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे शॉपिंग पोर्टल्स पर भी बेचना चाहते तो भी आपको रजिस्ट्रेशन तो करवाना ही होगा.
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क्या क्यू नेट e commerce company mai aata h ya nhi
मनोज जी, अगर यह कम्पनी ऑनलाइन प्रोडक्ट्स बेचती है तो यह ई-कॉमर्स में ही गिनी जाएगी.
Kya ola or uber e commerce me aata hai
राजा जी, ये दोनों कम्पनियां अपनी सेवाएं ऑनलाइन ही मुहैया करा रही है. इसलिए, ओला और उबर जैसी कंपनिया भी ई-कॉमर्स के अंतर्गत ही गिनी जाती है.
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