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IoT क्या है IoT की पूरी जानकारी हिंदी में

घर का दरवाजा खोलते ही लाईट ऑन हो गई आप कुछ आगे बढ़े और रसोई से कोई आपके लिए पानी लेकर आ रहा है. आपने पानी पिया और सोफे पर बैठ गए. कुछ ही देर बाद आपकी चाय लेकर एक व्यक्ति खड़ा है. और साथ में आपका मन पसंद गाना भी बजना शुरू हो गया है.

अरे भाई कहां खो गए. दिन में सपने देखने लगे आप तो.

जी नहीं ये सपना नहीं हकिकत है. क्या कहां?

हकिकत! जी बिल्कुल आपने सही पढ़ा ये वर्तमान की सच्चाई है कोई हॉलिवुड की विज्ञान फंतासी फिल्म की कहानी नहीं है.

ये सब संभव हो पाया है Internet of Things Technology यानि IoT के कारण. और इसे लेख में हम आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स की पूरी जानकारी दे रहे है. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस लेख को निम्न भागों में विभाजित किया है.

IoT Internet of Things Kya Hai
IoT – Internet of Things


IoT यानी Internet of Things क्या है?

इंटरनेट ऑफ थिंग्स आजकल एक चर्चित शब्द बन चुका है. और इस्के आसपाद बहुत कुछ निर्मित हो रहा है. इसलिए सभी के मन में ये सवाल जरूरा आता है कि असल में ये Internet of Things है क्या? इसकी परिभाषा (IoT Definition in Hindi) क्या है?

इंटरनेट ऑफ थिंग्स को परिभाषित करने से पहले कुछ चर्चित परिभाषाओं से आपको अवगत कराते है.

गूगल डिक्शनरी के अनुसार,

“रोजमर्रा की वस्तुओं में एम्बेडेड क्म्प्युटिंग उपकरणों से इंटरनेट के माध्यम से परस्पर संपर्क, उन्हे डेटा भेजने और प्राप्त करनें में सक्षम बनाता है.”

विकिपीडिया के अनुसार,

“इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) फिजिकल उपकरणों और रोजमर्रा की वस्तुओं में इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार है. इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरनेट कनेक्टिविटी और हार्डवेयर के अन्य रूपों (जैसे सेंसर) के साथ एंबेडेड, ये डिवाइस इंटरनेट पर दूसरों के साथ कम्युनिकेट और इंटरेक्ट कर सकते हैं और उन पर दूर से ही निगरानी और नियंत्रित किया जा सकता है.”

“इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एक कम्प्युटिंग अवधारणा है जो रोजमर्रा की भौतिक वस्तुओं के इंटरनेट से जुड़े होने और अन्य उपकरणों के लिए खुद को पहचानने में सक्षम होने के विचार का वर्णन करती है. इस शब्द को RFID के साथ संचार की विधि के रूप में बारीकी से पहचाना जाता है, हालांकि इसमें अन्य सेंसर तकनीक, वायरलेस तकनीक या QR कोड भी शामिल हो सकते है.” टेकोपीडियाडॉटकॉम.

“इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) इंटरनेट के माध्यम से सुलभ भौतिक वस्तुओं का एक पारिस्थितिकी तंत्र है.” हैप्पीएस्टमाइंडडॉटकॉम.

“IoT इंटरनेट ऑफ थिंग्स का लघु रूप है, इंटरनेट ऑफ थिंग्स भौतिक वस्तुओं के बढ़ते नेटवर्क को संदर्भित करता है जो इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए एक आईपी एड्रेस और इन वस्तुओं तथा अन्य इंटरनेट-सक्षम डिवाईसों और प्राणियों के बीच होने वाले संचार को दर्शाता है.” वेबोपीडियाडॉटकॉम.

“संक्षेप में, इंटरनेट ऑफ थिंग्स किसी भी डिवाइस को कनेक्ट करने की अवधारणा है (जब तक इंटरनेट जुडे हुए उपकरणों के लिए ऑन/ऑफ स्वीच है). IoT कनेक्टेड चीजों और लोगों का विशाल नेटवर्क है – जिसमें सभी डेटा एकत्र करने और अपने काम के तरीके का वर्णन करने का तरीका तथा आसपास के वातावरण के बारे में डेटा शेयर करते है.” आईबीएमडॉटकॉम.

ऊपर वर्णित परिभाषाओं का अध्ययन करने से मालूम चलता है कि ये कंसेप्ट चीजों को किसी नेटवर्क से जोड़ने की बात करता है. और इसी अर्थ के आसपास IoT को परिभाषित किया गया है.

आइए, अब हम आपको इंटनेट ऑफ थिंग्स अवधारणा को समझाने का प्रयास करते है.

“भौतिक वस्तुओं, जगहों तथा इंसानों को आपस में किसी नेटवर्क पर जोड़ना ही इंटरनेट ऑफ थिंग्स कहलाता है. जहाँ पर ये एक-दूसरे से कम्युनिकेट करते है. डेटा भेजते है. प्राप्त करते है, उसे प्रोसेस करते है और कोई एक्शन लेते है.

भौतिक वस्तुओं में कम्प्युटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन के अलावा फ्रिज, माइक्रोवेव ऑवन, टेलिविजन, वॉशिंग मशीन, कार, बाईक, वियरेबल गैजेट्स शामिल है (मगर यहीं सीमित नहीं है). जगहों से मतलव है आपका घर, कमरा, रसोई, ऑफिस, पार्क, पुस्तकालय आदि तथा इंसान तो हम है ही.

ये सभी कनेक्टेड वस्तुएं आपस में तीन तरह से कम्युनिकेट कर सकती है.

Human to Human – जब किसी IoT System पर इंसान आपस में एक-दूसरे से कम्युनिकेट करते है तो इसे इंसान से इंसान का कम्युनिकेटशन कहते है. जिसे संक्षेप में H2H लिखा जाता है.

Human to Machine – जब IoT सिस्टम पर मौजूद वस्तुएं तथा मशीनें इंसानों से कम्युनिकेट करती हओ तो इस स्थिति को H2M कहते है.

Machine to Machine – IoT सिस्टम की अधिकतम सफलता इसी कम्युनिकेशन से निर्धारित हो रही है. क्योंकि इस मॉडल में एक IoT System जुड़ी हुई मशीने आपस में ही कम्युनिकेट करती है और एक-दूसरे से प्राप्त डेटा के आधार पर एक्शन भी लेती है.


IoT कैसे काम करता है – How IoT System Works in Hindi?

एक IoT System स्मार्ट डिवाइसों से मिलकर बना होता है. जो डेटा एकत्र करने, भेजने तथा प्राप्त करने के लिए बिल्ट-इन सेंसर्स, एम्बेडेड प्रोसेसर्स तथा संचार तकनीक का उपयोग करते है. यह डिवाइस सभी डेटा अपने आस-पास के वातावरण से ग्रहण करते है और उसे संबंधित IoT Gateway तक पहुँचा देते है. जहाँ पर डेटा का विश्लेषण किया जाता है और क्या डेटा रखना है किसे सुरक्षित छोड देना है यह फैंसला भी डेटा सर्वर पर होता है. फिर इस विश्लेषण से प्राप्त सूचना के आधार पर कोई पैटर्न का पता लगाया जाता है, सिफारिशे बताई जाती है और संभावित समस्याओं का पता लगाया जाता है.

इस प्रकार सारा काम कम्प्युटर सिस्टम की तर्ज पर होता है. डेटा लिया जाता है. उसे प्रोसेस किया जाता है फिर उसी डेटा के आधार पर कोई फैंसला लिया जाता है. मगर यहाँ पर Big Data का विश्लेषण होता है. क्योंकि डेटा निरंतर प्राप्त होता रहता है. इसलिए व्यापक स्तर पर डेटा की प्राप्ती होती है. जिसे डेटा माइनिंग भी कहते है.

यदि आप एक बुक स्टोर चलाते है तो आप जानना चाहेंग़े कि किस तरह की किताबें ज्यादा पढ़ी जाती है ताकि आप उस स्टॉक की समुचित व्यवस्था स्टॉक खत्म होने से पहले ही कर सके.

इसके लिए आपको निम्न डेटा की जरुरत पड़ सकती है.

  • किस कौने में या अलमारी की तरफ लोग ज्यादा जाते है और कितना समय बिताते है?
  • उस क्षेत्र में किस प्रकार की किताबें रखी हुई है?
  • किन-किन लेखक की किताबे ज्यादा पसंद आती है?

इस प्रकार का डेटा यदि आपकों निरंतर मिलता रहता है तो आप सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाते है और बिक्री बढ़ाने के साथ-साथ मांग पूर्ती भी करने में सक्षम हो पाते है.


IoT का आम जीवन में उपयोग

जिस तकनीक का उपयोग इंसानी जीवन की बेहतरी के लिए हो सकता है वही तकनीक कामयाब समझी जाती है. इसलिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स को भी इस परिक्षा से गुजरना बाकी है परिक्षा चल रही है. जिसके तहत फिलहाल इंटरनेत ऑफ थिंग्स तकनीक का उपयोग घरों से लेकर फैक्ट्रीयों, तकनीक कंपनियों, एंजेसियों, सरकारें आदि जगहों पर खूब किया जाने लगा है.

प्रमुख रूप से इस तकनीक का उपयोग निम्न कार्यक्षेत्रों में किया जा रहा है.

  1. Manufacturing
  2. Transportation
  3. Automotive
  4. Agriculture
  5. Medical and Healthcare
  6. Consumer Applications

Manufacturing में IoT का उपयोग

इस तकनीक को Industrial IoT (IIoT) नाम दिया गया है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक के उपयोग तथा मशीन टू मशीन कम्युनेक्शन का उपयोग प्रोडक्ट डिमांड, फीचर्स, ऊर्जा प्रबंध, प्लांट सुरक्षा, कर्मचारियों की हेल्थ, निर्माण कार्य का स्वचालन आदि कार्यों के लिए किया जा रहा है.

इसमें इंडस्ट्रीयल बिग डेटा एनालिटिक्स तथा साईबर फिजिकल सिस्टम जैसी तकनीकों का और सहारा लिया जाता है. ताकि सटीक निर्णय और भविष्यवाणियाँ की जा सके.

Transportation में IoT का उपयोग

परिवहन क्षेत्र में नई क्रांति लाने की क्षमता इस तकनीक में मौजूद है. मशीन लर्निंग तकनीक के साथ यह एक पूर्ण स्वचालित परिवहन सिस्टम विकसित करने योग्य है. जिसके द्वारा एक शहर का परिवहन सिस्टन स्वचालित किया जा सकता है. टैफिक लाईट, स्पीड, जेबरा क्रॉसिंग पर स्पीड, वाहनों की ट्रैकिंग आदि संभव है.

  • स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम
  • स्मार्ट पार्किंग
  • इलेक्ट्रॉनिक टॉल कंटॉल सिस्टम
  • व्हिकल कंट्रॉल

आदि काम इंटरनेट ऑफ थिंग्स के द्वारा संभव है. एक कारगों ट्रक की पॉजिशन, उसकी वर्तमान स्थिति (देरी, चोरी आदि) का पता लगाने के लिए ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (GPS) से आसानी से पता लगाया जा सकता है. और उसे वायरलेस के द्वारा आवश्यक निर्देश भी दिये जा सकते है.

इसी तरह किसी चौराहे पर, जेबरा कॉसिंग पर, घूमावों पर, पुलों तथा घाटीयों पर स्पीड लिमिट तथा आवश्यक सुरक्षा टिप्स दिए जा सकते है और आगे ट्रैफिक की स्थिति भी बताई जा सकती है. यदि कोई वाहन चालक स्पीड लिमिट क्रॉस करता है तो उसका तुरंत पता लगाना भी संभव है.

Automotive क्षेत्र में IoT का उपयोग

गूगल द्वारा स्मार्ट कार बनाकर इस तकनीक का प्रदर्शन किया जा चुका है. गूगल की ड्राईवर लेस कार अपने गंतव्य पर सुरक्षित पहुँच सकती है वो भी सभी ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए. इस क्षेत्र में कई कंपनिया निवेश कर रही है और स्मार्ट व्हिकल बनाने की तरफ ध्यान दे रही है.

वह दिन दूर नहीं जब आपकी कार आपके इशारों पर नाचने लगेगी और आप सिर्फ बैठिए रूट तय कर दीजिए कार आपको ऑफिस पहुँचा देगी.

सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में यह तकनीक बहुत मददगार हो सकती है. साथ ही वाहन निर्माताओं के लिए भी प्राप्त डेटा प्रोडक्ट सुधार में अहम भूमिका निभाएगा.

Agriculture क्षेत्र में IoT का उपयोग

कृषि क्षेत्र में बहुत प्रकार का डेटा इकट्ठा किया जा सकता है. मसलन, तापमान, बरसात, आद्रता, हवा की गति, मिट्टी की गुणवत्ता, किटनाशकों का प्रभाव आदि. इस डेटा का विश्लेष्ण करके फार्मिंग की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है और भावि निर्णय लेकर नुकसान से बचा जा सकता है.

कृषि तकनीकों को स्वचालित करने, फसल के प्रबंध  के लिए आवश्यक समय, कीटनाशक, सिंचाई आदि की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए डेटा विश्लेषण से प्राप्त निष्कर्षों का उपयोग कर सकते है.

इस तरह के कई प्रयोग किये जा रहे है और कृषि क्षेत्र से जुडे हुए अन्य व्यवसायों जैसे मछली पालन, मुर्गी पालन, डेयरी आदि उद्योगों पर सफल प्रयोग किये जा चुके है.

Medical & Healthcare में IoT का उपयोग

इंटरनेट ऑफ मेडिकल थिंग्स जिसे इंटरनेट ऑफ हेल्थ थिंग्स (Internet of Health Things) के नाम से भी जाना जाता है. एक ऐसा सिस्टम है जो हेल्थकेयर से जुडे हुए उपकरणों तथा इंसानों को IoT System से जोडने पर बल देता है. इस सिस्टम के द्वारा स्मार्ट ऑपरेशन थिएटर, स्मार्ट बैड (जो मरीज के उठने तथा दबाव आदि की जानकारी इकट्ठा करते है), स्मार्ट जांच उपकरण जो स्वयं जांच करके उपयुक्त निर्देश भी देने में सक्षम होते है. विकसित किए जा रहे है और पूरे मेडिकल क्षेत्र को डिजिटाईज्ड हेल्थकेयर सिस्टम में बदला जा रहा है.

स्मार्ट विएरेबल हेल्थ डिवाईस आपके कदमों की गिनती कर सकते है, धड़कन का पता लगा सकते है, ब्लड प्रेससर जांच सकते है और इन सभी आंकडों के आधार पर डेली हेल्थ रिपोर्ट बनाकर आपको सौपं सकते है. और कोई खास पैटर्न का पता लगाकर भविष्य में उभरने वाली बीमारी या लक्षणों का पता लगा सकते है.

आपकी हेल्थ हिस्ट्री डॉक्टर के पास सुरक्षित रखी होगी आप जायेंग़े और कुछ जानकारी प्रविष्ट करते ही आपकी सारी हेल्थ रिपोर्ट डॉक्टर की आंखों के सामने होगी. इस तरह आपकी जांच सही तरीके से और सही दिशा में हो सकेगी.

मरिजों के ऊपर अस्पताल या घर से ही निगरानी रख सकते है और उन्हे आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे सकते है. साथ ही बीमारियों के नियंत्रण और बचाव सिस्टम को मजबूत बनाने में इंटरनेट ऑफ हेल्थ थिंग्स मिल का पत्थर साबित हो सकती है.

Consumer Applications

इस क्षेत्र में उन स्मार्ट वस्तुओं का निर्माण शामिल है जिनक उपयोग हम रोज करते है. इस तकनीक को Internet of Wearable Things (IoWT) नाम दिया गया है. जिसका उपयोग स्मार्ट होम बनाने के लिए हो रहा है.

एक स्मार्ट होम आपके अंदर आते ही लाइट, पंखा/एसी, म्युजिक ऑन कर सकता है और दरवाजा बंद करके आपके लिए रसोई को चाय बनाने का ऑर्डर दे सकता है. यदि आप घर से बाहर निकल रहे है तो लाइट बंद करना, अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को स्वीच ऑफ करना तथा घर के दरवाजे अच्छी तरह बंद करके पूरे घर को सुरक्षित लॉक करना भी शामिल है.

स्मार्ट होम तकनीक का उपयोग घरों को दूर से कंट्रॉल करने के लिए तथा उर्जा बचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है. एप्पल की HomeKit के द्वारा पूरे घर को एक आईफोन एप या फिर सिरि (एप्पल का वॉइस असिसटेंट) के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है.

इस दिशा में अमेजन का Echo, Google Home, Apple’s HomePod, Samsung’s SmartThings Hub सराहनीय उपकरण है. जिनका उपयोग और उत्पादन शुरू हो चुका है.

स्मार्ट होम के अलावा अन्य उपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे फ्रीज, वांशिग मशीन, ऑवन, गीजर आदि उपकरणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है.

इस क्षेत्र में Enterprise IoT भी उभर रहा है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जो बिजनेस और कॉर्पोरेट्स में उपयोग होने वाले डिवाइसों के निर्माण से संबंधित है.


IoT के फायदें और नुकसान

इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक का फायदा आम लोगों के साथ-साथ बिजनेस तथा कंपनियों को भी हो रहा है. इस तकनीक पर किया गया निवेश पर ROI की मात्रा ज्यादा है. इसलिए कंपनियां बहुत निवेश इस क्षेत्र में कर रही है. IoT के फायदों के बारे में नीचे वर्णन किया जा रहा है.

  • कार्यों को स्वचालित (Automate) करने में मदद मिल रही है. इससे बहुत सारे छोटे-मोटे कार्यों पर लगने वाले श्रम की बचत होने के साथ-साथ समय भी व्यर्थ नहीं हो रहा है.
  • बिजनेस का संचालन की पूरी प्रक्रिया पर निगरानी रखी जा सकती और प्रोगरेस को मॉनिटर किया जा सकता है.
  • ग्राहक अनुभव को सुधारने में मदद मिल रही है. जिससे व्यापार की बिक्री बढ़ाने तथा ग्राहक-व्यापारी रिश्तों में मजबूती हो रही है. जो ऑवरऑल बिजनेस की ग्रोथ के लिए ही फायदेमंद साबित होता है.
  • कामगारों की उत्पादकता बढ़ाने में इंटरनेट ऑफ थिंग्स का विश्लेषण नए-नए तरीकों से कर्मचारियों से काम करवाने के ढंग विकसित करने में सहयोगी बन रहा है.
  • भविष्य के लिए सही फैंसले लेने में पहले से ज्यादा आसानी हो रही है.
  • ग्राहकों तथा सर्वजनों को इस नई तकनीक से बहुत सारे कामों के लिए इंसान-संचालित प्राणियों पर निर्भरता कम हो रही है.
  • लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है. क्योंकि अब समय तथा डेटा विश्लेषण के कारण लोग सटीक और समय पर निर्णय लेने में सक्षम हो रहे है.
  • किसी भी डिवाइस तथा जगह से इंफॉर्मेशन प्राप्त करने से स्थिति का सही आकलन हो रहा है.

मगर उपरोक्त फायदों के अलावा कुछ अनजाने और नए खतरे भी इंटरनेट ऑफ थिंग्से से उभर रहे है. मसलन,

  • डेटा की चोरी और प्राईवेसी को खतरा
  • स्वचालन से लोगों को काम जाने की चिंता जो अवसाद और नशाख्रोरी को बढ़ावा दे सकती है
  • बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है
  • साईबर खतरों में बढ़ोतरी की संभावना

IoT का इतिहास – History of IoT in Hindi?

स्मार्ट डिवाईसों को आपस में जोड़कर स्मार्ट नेटवर्क बनाने की शुरुआत Carnegie Mellon University में सन 1982 से हो गई थी. इस विश्वविद्यालय में एक Coke Vending Machine बनाई गई थी जो मशीन के अंदर रखी बोतलों के बारे में बता सकती थी यह ठण्डी है या नहीं और साथ ही स्टॉक की जानकारी देने में भी सक्षम थी.

मगर, Internet of Things टर्म के जनक माननीय केविन एश्टॉन (Kevin Ashton) माने जाते है जो प्रॉक्टर & गेम्बलर में काम करते थे (बाद में MIT’s Auto-ID Center में काम किया). उन्होने असल में सन 1999 में Internet for Things शब्द इस्तेमाल किया था. इसी शब्द से इंटरनेट ऑफ थिंग्स बना. इस कार्य के लिए उन्होने RFID – Radio-Frequency Identification तकनीक की सिफारिश की थी जो कम्प्युटरों को अलग-अलग डिवाइसों को प्रबंध करने योग्य क्षमता प्रदान कर सकती थी.

इसके बाद आज तक यह स्मार्ट नेटवर्क तकनीक विकास के दौर से गुजर रही है और भविष्य में इसका विस्तार बहुत व्यापक स्तर पर होने वाला है. क्योंकि इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक भविष्य की तकनीक है. जो इंसान को विज्ञान फंतासी की फिल्मी दुनिया को वास्तविकता बनाने की क्षमता समाये हुए है.


आपने क्या सीखा?

इस लेख नें हमने आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स के बारे में पूरी जानकारी दी है. आपने जाना कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है? यह कैसे काम करती है? इसका उपयोग, फायदे-नुकसान आदि के बारे में भी जाना है. हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा.   

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